"अनुष्का ने केवल हावभाव से ही कमाल कर दिया है। जिस समय पति को कुत्ता बना देखती हैं तो उनके चेहरे पर उभरने वाले दर्द के भाव दर्शकों को भी असहज कर देते हैं। इसी तरह सिलाई की प्रतियोगिता वाले सीन में पति की गैरहाजिरी में उनका रोना और फिर पति को देखते ही खिल उठना, सब कुछ कमाल लगता है। किस किस सीन की बात करें। सब कुछ कमाल ही है।"Rating 3*
'बढिया है' ये डायलाग बार-बार वरूण धवन इस फिल्म में बोलते रहते हैं और फिल्म पर यह एकदम फिट बैठता है। फिल्म बढिया है और आप एक बार जरूर देखकर आइये परिवार के साथ। इस फिल्म को देखकर मैं हैरान इसलिए हूं कि आखिर आज के दौर की कोई भी सफल हिरोईन इस तरह का रोल निभाने के लिए कैसे तैयार हो गई? तैयार हो भी गई तो इतनी खूबसूरती से कैसे निभा गई? सच अनुष्का शर्मा ने इस फिल्म में कमाल कर दिया है। एक गरीब व सीधी साधी घरेलू महिला के रोल को कोई इतनी सादगी भरे तरीके से भी निभा सकता है इस पर यकीन नहीं होता। एक लाइन में अगर कहना चाहूं तो यह फिल्म पूरी तरह से अनुष्का शर्मा की फिल्म है। उनके कैरियर की अब तक की सबसे बेहतरीन फिल्म अगर इसे कह दूं तो गलत नहीं होगा।
दो कहावतें हैं- 1. इरादे हों तो कोई काम कठिन नहीं, 2. हर सफल आदमी के पीछे एक औरत होती है। ये दोनों ही इस फिल्म पर फिट बैठती हैं। कहानी मौजी (वरुण) व ममता (अनुष्का) के जीवन की है। पिता (रघुवीर यादव) के ताने सुन सुनकर बड़ा हुआ मौजी इतना भोला है कि उसकी दुकान के मालिक का बेटा उससे कुत्ते की तरह भी व्यवहार करता है तो वह उसे मजाक समझता है। मौजी को बुरा नहीं लगता लेकिन एक दिन जब ममता अपने पति को मालिकों के घर में कुत्ता बनते देख लेती है तो उसका दिल रो उठता है। वह उसे स्वाभिमान से जीने के लिए और अपना कोई काम करने के लिए कहती है। बीवी की बात से प्रेरणा पाकर वरुण नौकरी छोड़ देता है और अपना खानदानी दर्जी का काम शुरू करने का फैसला करता है। कई दुश्वारियां आती हैं, कभी मशीन नहीं मिलती तो कभी दोस्त ही धोखा देते हैं। अंत में मेहनत सफल होती है और एक बड़े मंच पर मौजी व ममता की जोड़ी को सम्मानित करने के साथ फिल्म खत्म होती है।
एक्टिंग की बात करें तो पहला नाम अनुष्का शर्मा का आएगा। वे शानदार कलाकार तो हैं ही साथ ही मैं उन्हें सबसे साहसी अभिनेत्री का भी दर्जा देना चाहूंगा। उन्होंने अपना साहस 'एनएच 10' जैसी फिल्म का निर्माण करके ही दिखा दिया था। जिस समय उन्हें यह कहानी सुनाई गई होगी तो वे समझ भी नहीं पाई होंगी कि उन्हें कितनी गरीब महिला का रोल निभाना है। पूरी फिल्म 200 रुपये की पोलिएस्टर की साड़ी में ही करना आज के दौर की बहुत कम हिरोईनों के ही बूते की बात है। अनुष्का ने केवल हावभाव से ही कमाल कर दिया है। जिस समय पति को कुत्ता बना देखती हैं तो उनके चेहरे पर उभरने वाले दर्द के भाव दर्शकों को भी असहज कर देते हैं। इसी तरह सिलाई की प्रतियोगिता वाले सीन में पति की गैरहाजिरी में उनका रोना और फिर पति को देखते ही खिल उठना, सब कुछ कमाल लगता है। किस किस सीन की बात करें। सब कुछ कमाल ही है।
- हर्ष कुमार सिंह