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Prashant Kishor अचानक सबको इंटरव्यू दे रहे हैं? खेल को समझेंगे तो दंग रह जाएंगे
राजनीतिक दलों को मूर्ख बनाकर उल्लू सीधा करते रहे हैं प्रशांत किशोर,
और उनकी राजनीतिक महत्वकांक्षा भी किसी से छिपी नहीं रही है,
इस वीडियो में मैंने #PrashantKishor के तंत्र को एक्सपोज किया तो उनकी पूरी टीम मेरे पीछे पड़ गई। #PrashantKishor की टीम के लोग कमेंट कर कर के ये समझाने की कोशिश कर रहे हैं कि मैं कुछ जानता ही नहीं हूं।
प्रशांत किशोर को भारतीय राजनीति का ब्रांड बता रहे हैं उनके चेले चपाटे.
क्या मोदी, अमित शाह, योगी से भी बड़े ब्रांड हैं पीके? आप लोग मेरा ये वीडियो देखें और तय करें
मेरी चुनौती है कि पीके में दम है तो अखिलेश यादव को यूपी में 30-40 सीटें जितवा कर दिखाएं।
या फिर कांग्रेस को राजस्थान या मध्य प्रदेश में जितवाकर दिखाएं।
Tuesday 30 January 2024
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Friday 26 January 2024
Friday 12 January 2024
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Saturday 6 January 2024
Monday 1 January 2024
जयंत चौधरी लोकसभा चुनाव लडेंगे? मुजफ्फरनगर से या बागपत से?
रालोद अध्यक्ष और राज्यसभा सांसद जयंत चौधरी ने 2024 की शुरूआत मेरठ व मुजफ्फरनगर में कुछ लोगों से मुलाकात करके की और एक बार फिर अटकलें चलने लगी कि वह मुजफ्फरनगर लोकसभा सीट से चुनाव लड़ने की योजना बना रहे हैं। सबसे ज्यादा कौतूहल बीजेपी वालों में है। बीजेपी में वर्तमान सांसद संजीव बालियान की दावेदारी को लेकर ज्यादा संदेह नहीं है लेकिन ये हर कोई जानना चाहता है कि उनके सामने कौन चुनाव लड़ेगा?
कहा जा रहा है कि सपा-रालोद गठबंधन में कैराना सीट सपा के खाते में जा रही है और मुनव्वर हसन परिवार से ही कोई चुनाव लडेगा लेकिन मुजफ्फरनगर सीट पर रालोद के खाते से कई दावेदार हैं। सरधना के पूर्व विधायक चंद्रवीर सिंह की बेटी मनीषा अहलावत के बड़े-बड़े होर्डिंग मुजफ्फरनगर जिले में लगे हुए हैं।
मनीषा ने विधानसभा चुनाव में मेरठ कैंट से भी चुनाव लड़ा था। जहां उनकी हार टिकट मिलने के साथ ही तय हो गई थी। कैंट बीजेपी का गढ़ है। मनीषा अहलावत पार्टी की प्रवक्ता भी हैं। रालोद में एक बड़ा वर्ग यह चाहता है कि मुजफ्फरनगर सीट से जयंत या उनकी पत्नी चारू चुनाव लड़ें। अटकलें तो यहां तक भी लगने लगी कि संजीव बालियान ने अपनी पत्नी सुनीता को सरकारी नौकरी से इसलिए VRS दिलवाई है कि उन्हें भविष्य के लिए तैयार किया जा सके। हालांकि बीजेपी में इस तरह टिकट मिलते नहीं हैं लेकिन फिर भी आने वाले समय में महिला आरक्षण लागू होने की स्थिति में कुछ संभावनाएं बन सकती हैं। 2029 से पहले इसके आसार नहीं नजर आते। शामली के विधायक प्रसन्न चौधरी का भी नाम मुजफ्फरनगर लोकसभा सीट से रालोद के टिकट के दावेदारों में प्रमुख रूप से चल रहा है।
फिलहाल जयंत को ये तय करना है कि बागपत सीट पर अपने परिवार का दावा बरकरार रखना है या फिर मुजफ्फरनगर का रुख करना है? 2019 में स्व. अजित सिंह मुजफ्फरनगर से लड़े थे और जयंत बागपत से। और दोनों को हार का सामना करना पड़ा था। जयंत 20 हजार से ज्यादा अंतर से हारे थे जबकि अजित सिंह केवल पांच हजार वोट से हारे थे।इसलिए रालोद के थिंक टैंक का मानना है कि मुजफ्फरनगर सीट उनके लिए ज्यादा सुरक्षित रहेगी।
मुजफ्फरनगर सीट पर 6 लाख के करीब मुस्लिम वोट हैं। इसके अलावा जाट वोटों की संख्या दो लाख के आसपास है। इसी की वजह से रालोद नेताओं को मुजफ्फरनगर सीट ज्यादा लुभा रही है। इसके अलावा बागपत लोकसभा सीट में जब से मोदीनगर विधानसभा सीट शामिल हुई है तब से वहां रालोद की सारी समीकरण गड़बड़ा गई है। मोदी नगर एक शहरी विधानसभा सीट है और वहां पर गैर जाट वोट ही बीजेपी को जिताने में सफल रहते हैं। बागपत जिले में रालोद का समीकरण ही मोदी नगर की वजह से बिगड़ा है। यही वजह है कि लगातार दो चुनाव रालोद वहां हार चुकी है। 2009 में भी अजित सिंह इसलिए जीते थे क्योंकि बीजेपी के साथ रालोद का समझौता था। नया परिसीमन भी उसी साल से लागू हुआ था। हकीकत बात यह है कि जब से रालोद ने बीजेपी का दामन छोड़ा है तब से बागपत सीट तो छोड़ें लोकसभा में ही रालोद की उपस्थिति शून्य हो गई है।
फिलहाल चर्चा यह है कि जयंत चौधरी ना तो खुद लोकसभा चुनाव लड़ने के मूड में हैं और ना ही पत्नी को लड़ाने की इच्छा उनकी नजर आ रही है। वैसे चुनाव नजदीक आएगा तो सब कुछ बदलने लगेगा। हो सकता है कि जयंत का मूड भी बदल जाए। वैसे भी जयंत ने अगर चुनाव नहीं लड़ा तो उनके किसी प्रत्याशी की दावेदारी में दम नहीं रह जाएगा। मेरा मानना है कि उन्हें जरूर चुनाव लड़ना चाहिए। अब मुजफ्फरनगर से लडें या फिर बागपत से, ये उनकी मर्जी।
- हर्ष कुमार सिंह / राजनीतिक विश्लेषक
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