Friday 10 April 2015

सपने की तरह है बिग बी के साथ हुई वो यादगार और फुरसत भरी मुलाकात !

10 April 2015

सुपर स्टार अमिताभ बच्चन को देखने भर की तमन्ना रखने वालों करोड़ों लोगों में मैं भी था, लेकिन उन्हें देखने का मौका उनके साथ एक मुलाकात में तब्दील हो जाएगा ये किसी सपने से कम नहीं था। 10 अप्रैल 2015 को बिग बी से दिल्ली में हुई मुलाकात एक लाइफटाइम इवेंट के रूप में तब्दील हो गई। जो लोग मेरे इस अनुभव को पूरा पढ़ने का समय नहीं निकाल पा रहे हों उनके लिए इतना बता दूं कि इस मुलाकात की तीन हाईलाइट रही- 1. बिग बी का मुझे मेरा नाम लेकर पुकारना और पूरे प्रोग्राम में सबसे ज्यादा समय मुझे से बात करने को देना, 2. उनके साथ फोटो खिंचवाना और 3. बिग बी का अपने स्टाफ से ये कहना कि जब तक मैं वहां रहूं मेरा विशेष ख्याल रखें। इससे बड़ी बात किसी और बच्चन फैन के लिए और क्या हो सकती है?

मौकाः 

 
कैप्शन की जरूरत है क्या?
ये तो पहले से ही पता था कि एक दिन इस महानायक से मुलाकात होनी है। चार साल पहले जब टि्वटर को ज्वाइन किया था तो इसका एक उद्देश्य बच्चन से बातचीत भी था। बिग बी कई साल से ट्वीट करते आ रहे थे। जून 2013 में एक रात बिग बी ट्वीट कर रहे थे और उसी समय मैंने उनसे निवेदन किया था कि प्लीज मुझे फॉलो करें। सुबह सोकर उठा तो देखा कि बिग बी ने मुझे फॉलो करना शुरू कर दिया है। उस समय तक बिग बी लगभग 750-800 लोगों को फॉलो कर रहे थे। अब ये संख्या 950 के आसपास है। बिग बी ने मुझे फॉलो करना शुरू किया तो एक उम्मीद जगी थी कि अब कम से कम बच्चन मुझसे वाकिफ तो हो चुके हैं। ये उनसे मुलाकात की दिशा में पहला कदम था। 9 अप्रैल को संपादक अकु श्रीवास्तव जी ने आफिस में कहा कि अमिताभ बच्चन के इतने बड़े फैन हो तो तुम्हें उनसे मिलने का एक अवसर बन सकता हैं। 10 अप्रैल को दिल्ली के वसंत कुंज के एंबियंस मॉल में पीवीआर डायरेक्टर्स कट में मार्गरिटा विद ए स्ट्रॉ फिल्म की स्पेशल स्क्रीनिंग है। बच्चन वहां आने वाले हैं। पीआर कंपनी के मैनेजर ने बताया कि रेड कारपेट इवेंट है। इसमें स्टार्स आएंगे और थियेटर में चले जाएंगे। मीडिया के लिए रेड कारपेट पर पोज करेंगे और बहुत संभव हुआ तो फिल्म पर कुछ कमेंट देंगे। इवेंट की प्लानिंग से तो लग रहा था कि बिग बी से मिलने का मौका तो लगने की संभावना नहीं लगती। मैंने साथी फोटोग्राफर मिहिर सिंह से कह दिया कि भई तुम चले जाना मैं वहां क्या करूंगा? फिर मन में ख्याल आया कि क्यों न बच्चन साहब से ही निवेदन करके देखूं। टि्वटर पर उन्हें डीएम (डायरेक्ट मैसेज) किया कि प्लीज आप अगर इस कार्यक्रम में आ रहे हैं तो मुझे मिलने के लिए एक मिनट का समय जरूर दें। अपना मोबाइल नंबर भी मैसेज में दिया। यहां ये भी बता दूं कि भले ही वे मुझे फॉलो कर रहे थे कई बार ट्वीट्स का जवाब भी देते हैं लेकिन डायरेक्ट मैसेज (जो केवल एक दूसरे को फॉलो करने वालों के ही बीच संभव है) का जवाब नहीं दिया था। रात में घर आकर सो गया। सुबह 10 बजे के करीब उठा तो देखा कि डीएम बाक्स में बच्चन का जवाब पड़ा हुआ है। ओके विल ट्राई। ये एक चमत्कार की तरह से था। वहां न जाने का मन बना चुका था लेकिन बच्चन के इस जवाब ने चौंका दिया और मुझे लगा कि यदि मैं वहां नहीं गया और उनसे मिलने की कोशिश नहीं कि तो ये गलत होगा। मैंने मिहिर से कह दिया कि तुम कैसे भी जाना लेकिन मैं तो शाम 6.30 बजे पीवीआर पहुंच रहा हूं।

बेचैनी-बेताबीः

10 अप्रैल 2015 शाम साढ़े पांच बजे ही मैं एंबियंस मॉल में था। पीवीआर तीसरे लेवल पर है। वहां गया तो सन्नाटा था। किसी को अहसास भी नहीं हो सकता था कि वहां बच्चन आने वाले हैं। पीवीआर के मैनेजर व उनकी टीम जरूर मुस्तैद नजर आ रही थी। 6 बजे तक मिहिर भी पहुंच गया। कुछ और मीडिया के लोग आ गए। दिल्ली की मीडिया में लगातार बढ़ती जा रही लड़कियों की संख्या का असर वहां भी दिखा। ज्यादातर चैनलों से लड़कियां इवेंट कवर करने पहुंच रही थी। उनमें बेचैनी थी। तय समय निकल रहा था और मीडिया को कोई पूछ नहीं रहा था। पीवीआर का स्टाफ कुछ भी बताने के लिए राजी नहीं था। इसके बावजूद कोई जाने को तैयार नहीं था। सबको बच्चन को देखने की तमन्ना थी। कोई चूक नहीं करना चाहता था। सबसे ज्यादा बेचैनी मुझमें थी क्योंकि मेरे पास उनका मैसेज था और इसके बाद भी मैं न मिल पाया तो बहुत निराशा की बात होगी। अभी तैयारी चल ही रही थी कि अचानक पैसेज में से बिग बी व जया जी आते हुए नजर आए। सिक्यूरिटी घेरे हुए। बच्चन काले सूट में तो जया जी गोल्डन चूड़ीदार सूट में। जया जी आगे-आगे और बिग बी धीमे-धीमे चलते हुए पीछे-पीछे, मुझसे मुश्किल से तीन चार फुट की दूरी पर पीवीआर से अटैच कॉफी लांज में चले गए। मोबाइल जेब से निकालकर उनकी तीन-चार फोटो भी ले डाली लेकिन सबकी सब हिली हुई।

बाधाः

सुरक्षा घेरे में बच्चन मुझसे तीन-चार फुट आगे चलते हुए कॉफी लांज में चले गए। लांज में उनके घुसते समय मैंने सर-सर कहकर उनका ध्यान खींचने का प्रयास किया तो शायद उन्होंने सुना नहीं। मैं ज्यादा शोर शराबा नहीं करना चाहता था। कहीं ऐसा न हो कि मेरा ज्यादा प्रयास करना मेरे रास्ता में सबसे बड़ा रोड़ा न बन जाए ? लांज के बाहर एक सुरक्षा प्वाइंट बना दिया गया और एक गार्ड वहां मुस्तैद हो गया। बाकी मीडिया बाहर रेड कारपेट पर लौट गया लेकिन मैं वहां सिक्यरिटी प्वाइंट पर ही रुक गया।

बस 15-20 फुट की दूरी पर बच्चन साहब खड़े थे।
 अब बच्चन मुझसे 15-20 फुट की दूरी पर सोफों पर जया जी के साथ बैठे हैं और मैं उन तक पहुंच नहीं पा रहा हूं। मैं वहीं खड़ा रहा। इस आरजू में कि शायद उनकी नजर मुझ पर पड़ जाए, लेकिन वे मुझे शायद ही पहचान पा रहे हों? ट्विटर पर मेरा शायद फोटो ही तो देखा हो उन्होंने? समय 6.45, स्क्रीनिंग 7.30 से शुरू होनी थी। काफी लांज में चंद वीआईपी लोग जो स्क्रीनिंग के लिए आमंत्रित थे। बच्चन साहब के साथ केवल सुधीर मिश्रा बैठे हुए थे। अचानक मेरी नजर पीवीआर के मैनेजर पर पड़ी जो मुझे उस समय वहां के इंचार्ज के रूप में नजर आ रहा था। उस हैंडसम नौजवान को मैंने इशारे से बुलाया और कहा कि मुझे बच्चन साहब से मिलना है। उन्होंने मुझे बुलाया है। कैसे बुलाया है?- उसका सवाल था। मैंने कहा टि्वटर पर मैसेज देकर। नौजवान मैनेजर के चेहरे पर मुस्कान आई। उसने कहा- मुझे उनके स्टाफ से पूछना पड़ेगा। फिर एक लड़की मेरे पास आई जो शायद फिल्म प्रोडक्शन कंपनी से जुड़ी थी। उसने मुझसे पूछा- सर ने आपको टि्वटर पर मैसेज कैसे दिया? मैंने कहा- सर मुझे फॉलो करते हैं। क्या, सर आपको फॉलो करते हैं?- लड़की के चेहरे पर आश्चर्य के भाव थे। इसके बाद लड़की चली गई। मैनेजर खुद वेटर से ट्रे लेकर बच्चन साहब को कोल्ड ड्रिंक सर्व करने गया। शायद उसे भी मौका मिल गया था उनसे बात करने का। बच्चन साहब मेरी ओर पीठ किए बैठे थे। मैनेजर ने टेबल पर ट्रे रखते हुए उनसे कुछ कहा तो जरूर लेकिन मुझे कोई अनुमान नहीं हो सका। अलबत्ता बच्चन साहब ने अपना दाहिना हाथ उठाया जरूर। मैनेजर और उस लड़की को मैंने अपनी ओर बढ़ते देखा तो एहसास हो गया कि बात बन गई लगती है। लड़की ने मुझसे कहा- आइये, सर आपको बुला रहे हैं।

ऐतिहासिक पलः

बिग बी के साथ फोटो खिंचवाते हुए, पीछे उनके फोटोग्राफर परेश भाई भी हैं।
धड़कते दिल के साथ मैंने 20-22 कदम तेजी से तय किए और बिग बी के दाहिने और पहुंच गया। बच्चन साहब अपन बाएं और बैठे सुधीर मिश्रा से कुछ कह रहे थे। मैंने धीमे से झुककर उनसे कहा- सर नमस्कार। बिग बी एकदम पलटे और मुझे देखकर सोफे से खड़े हो गए और बोले- अरे हर्ष कैसे हो? कमाल हो गया। सुपर स्टार अमिताभ बच्चन, महानायक, बिग बी मुझसे पूछ रहा है हर्ष कैसे हो। नमस्कार मैं उन्हें पीठे पीछे से बोल चुका था। अब क्या करूं? अचानक ही किसी अनजानी ताकत ने मुझे मजबूर कर दिया कि मैं उनके पैर छू लूं। मैं झुका और पैरे छूने लगा। जूतों तक हाथ पहुंचने से पहले ही उन्होंने मुझे बीच में ही पकड़ लिया और मेरे दाहिन हाथ अपने दाहिने हाथ से कसकर पकड़ लिया। बोले- अरे भई ये मत किया कीजिए। बताइये कैसे हो? कहां से शुरू करूं? कहा- सर आपको पदम विभूषण सम्मान मिलने पर बधाई। बच्चन साहब मुस्कुराए और बोले- अरे वो सब छोड़ो अपने बारे में बताओ। यहां क्या करते हो? सर पंजाब केसरी ग्रुप में जुड़ा हुआ हूं और डिप्टी न्यूज एडिटर हूं। उनकी मुस्कान और गहरी हो गई - वैरी गुड। घर कहां हैं? सर मैं यहां जॉब करता हूं और मेरी ससुराल जरूर दिल्ली में है लेकिन रहने वाला यूपी का हूं। ओ उत्तर प्रदेश? जी, वहां एक छोटा सा जिला है मुजफ्फरनगर वहीं का रहने वाला हूं। हां-हां मुजफ्फरनगर, सुना है। सर मुझे तो यकीन ही नहीं हो रहा है कि मैं आप से मिल रहा हूं? देखिये आपने मैसेज किया और हमने बुला लिया। सर इस बार तो आपका दिल्ली में स्टे काफी लंबा हो गया। हां, हम लोग 6 अप्रैल को ही आ गए थे, पद्म पुरस्कार का समारोह था और फिर 11 अप्रैल को भतीजी नैना (छोटे भाई अजिताभ की बेटी) की शादी की रिसेप्शन है। इसके बाद मैंने उनसे क्या कहा मुझे याद नहीं। हां लगभग दो-तीन मिनट बाद उन्होंने कहा कि अच्छा हर्ष फिर मिलते हैं। अभी कुछ और लोग आ रहे हैं उनसे मिल लूं? मैंने कहा- सर आपके साथ एक फोटो हो जाए। हां-हां क्यों नहीं। मेरा मोबाइल उन्होंने अपने स्टाफ को दिया और कहा कि अरे सुनो, फोटो खींचो। अब स्टाफ ने फोटो खींचा क्लोज अप एंगल से, मैंने कहा- यार इतनी बड़ी पर्सनेलिटी खड़ी है जरा लांग शॉट लो ना? इसके बाद लांग शाट में भी फोटो हुए। अंधेरा था और रोशनी कैंडिल लाइट के बराबर थी। फिर भी मुझे यकीन था कि मेरा कैमरा मुझे निराशा नहीं करेगा। मैंने बिग बी को थैंक्यू कहा वो मुस्कुराए और सोफे पर बैठ गए। मैं मोबाइल स्टाफ से लेकर लांज से बाहर आ गया।
पीवीआर के इसी हैंडसम मैनेजर (विजय सहरावत) ने मेरी सहायता की। थैंक्यू दोस्त।

चमत्कार-चमत्कारः

लांज से बाहर आकर मिहिर को बताया कि यार मैं तो बच्चन से मिल आया। उसका एक ही सवाल था- क्या हर्ष भाई हमें यहां छोड़कर खुद मिल आए। साथ खड़े कुछ और मीडिया पर्सन भी अजीब नजर से मेरी ओर देख रहे थे। कुछ ने सवाल दागने शुरू कर दिये- कैसे मिले? क्या हुआ? मेरी कुछ समझ में नहीं आया कि उनसे मैं क्या कहूं। मेरी आंखो के सामने रेड कारपेट पर कल्की कोचलिन, रेवती जैसे स्टार होकर अंदर जा रहे थे लेकिन मेरी एक क्षण के लिए भी तमन्ना नहीं हुई कि मैं उनसे मिलूं या फोटो ले लूं। लग रहा था कि मन अंदर बच्चन के पास ही रह गया है। मैं वापस कॉफी लांज की ओर लौट गया। बच्चन को फिर से देखने की हूक दिल में उठ रही थी। सिक्यूरिटी प्वाइंट पर खड़ा गार्ड अब मुझे देखकर मुस्कुरा रहा था। लग रहा था कि जैसे कह रहा है कि आइये अब आपको रोकूंगा नहीं। इसके बावजूद मैं अंदर नहीं गया। 20-25 फुट की दूरी से खड़ा ही बच्चन को देखता रहा। मुझे वहां खड़ा देख पीवीआर को वो हैंडसम मैनेजर मेरी तरफ लपका और बोला- अरे सर आप यहां क्यों खड़े हैं? आप अंदर ही बैठिये। बच्चन साहब ने कहा है कि आप वहीं बैठें और आपका विशेष ख्याल रखा जाए। ये क्या हो रहा है। क्या कह रहा है ये नौजवान। मुझे काफी लांज के अंदर ले गया और बार टेंडर के पास रखे एक लंबे से स्टूल को खींचकर बोला- सर प्लीज आप यहां बैठिये। क्या पीएंगे आप? यार पानी पिला दो गला सूख रहा है। उसने वेटर को आर्डर दिया- सर के लिए स्पेशल ड्रिंक लाया जाए। चूंकि फिल्म का नाम मार्गरिटा विद ए स्ट्रॉ है इसलिए वहां सभी को जो सॉफ्ट ड्रिंक सर्व किया जा रहा था उसमें विशेष प्रकार की स्ट्रॉ डाली गई थी। फिल्म का नाम भी उस पर छपा था। साहब मेहमाननवाजी ऐसी हुई कि वेटर हर फ्लेवर से युक्त पूरी ट्रे ही मेरे सामने रखकर चला गया। मैंने कोक उठाई और पीनी शुरू कर दी।

 
बच्चन साहब अपने ट्वीट चैक करते हुए। उनके पीछे सोफे पर बैठे हुए ही मैंने ये फोटो क्लिक की।

तमन्ना-तमन्नाः

बार टेबल पर जहां मैं बैठा था वो बच्चन साहब से मुश्किल से आठ-दस फुट की दूरी पर थी। बच्चन साहब मेरी ओर पीठ किए बैठे थे और खामोशी से सभी से मिल रहे थे। जिस से मिलते थे खड़े होकर अभिवादन करते थे और फिर बैठ जाते थे। मैंने देखा उनके सोफे के पीछे उनका पर्सनल फोटोग्राफर खड़ा है और उसी के बगल में एक सिंगल सोफा खाली पड़ा है। बिग बी के और नजदीक बैठने की तमन्ना में मैं उसी सोफे पर बैठ गया। उनका कैमरामैन (परेश भाई) मुझे देखकर मुस्कुराया। मैंने परेश भाई से कहा- आप बच्चन साहब के साथ ही रहते हैं? हां। हमेशा। हां, वो जहां भी जाते हैं मैं साथ जाता हूं। विदेश में भी? हां, हर जगह। क्या आपने मेरा फोटो भी खींचा? हां खींचा ना, जब आप से सर बात कर रहे थे। क्या आप मुझे मेरा फोटो दे सकते हैं? नहीं सॉरी सर, मैं तो सारे फोटो सर को ही दे देता हूं। मुझे लगा परेश भाई सही कह रहे हैं। क्योंकि एक बार ब्लॉग पर बच्चन साहब ने लिखा था कि फोटोग्राफर उन्हें सारे फोटो दे देते हैं फिर वे खुद ही उनमें से कुछ ब्लॉग व फेसबुक पर शेयर करते हैं। उसी वक्त मन में ख्याल आ गया कि चलो टि्वटर पर बच्चन साहब से ही रिक्वेस्ट करेंगे। अब जिस सोफे पर मैं बैठा था उसकी पीठ बच्चन साहब से मिली हुई थी। मैं मोबाइल से उनके फोटो क्लिक कर रहा था। उनके मिलने वालों को देख रहा था। मुझे पूरी तरह से ये ही अहसास हो रहा था कि मैं बच्चन साहब के साथ बैठा हूं। बच्चन साहब किसी से बात नहीं कर रहे थे। उन्होंने अपना मोबाइल निकाल लिया और उस पर ट्वीट्स चैक करने लगे। मैंने परेश भाई से पूछा- सर कौन सा मोबाइल इस्तेमाल करते हैं? वो बोले- सर के पास बहुत से मोबाइल हैं। आज तो शायद सैमसंग गैलेक्सी एस-6 एज (ये फोन उसी दिन मार्किट में आया था) लिए हुए हैं। वैसे ज्यादातर आईफोन 6-प्लस यूज करते हैं।

जिज्ञासा-सवालः

एनडीटीवी के चेयरमैन प्रणब राय बच्चन से मिलने आए और मिलकर चलने लगे तो उनके साथ एक सैल्फी भी क्लिक किया। एनडीटीवी के वरिष्ठ पत्रकार रवीश कुमार काफी जिज्ञासा से मेरी ओर देख रहे थे। उन्होंने पूछा- क्या माजरा है? मैंने कहा- सर ये भी कहानी है। हमें भी सुनाओ, मैंने बच्चन से मुलाकात का पूरा किस्सा उन्हें सुनाया तो वे अचंभित होकर बोले। बताओ यार इतना बड़ा आदमी और इतनी छोटी-छोटी बातों पर कैसे ध्यान रख लेता है। कमाल है इस बंदे का। इसके बाद शो का समय हो गया। सभी लोग काफी लांज से शो के लिए जाने लगे। मैनेजर ने इशारा किया कि आप नहीं जाएंगे? मैंने आंखों से इशारा किया कि नहीं और उसकी ओर थम्स अप का इशारा किया। उसके चेहरे पर मुस्कान आ गई। वो समझ गया कि मेरी मुराद पूरी हो चुकी है।

खुशी, बेहद खुशीः

सबसे पहले फोन करके संपादक जी को धन्यवाद दिया, जिनकी वजह से ये मुलाकात संभव हो सकी थी। इसके बाद पत्नी संगीता को फोन किया जो बाजार में शॉपिंग में बिजी थी। उसके पास समय नहीं था लेकिन फिर भी चार मिनट में सारा किस्सा जबरन सुना डाला। समझ नहीं आ रहा था कि खुशी को कैसे शेयर करूं। वसंतकुंज से हौज खास मेट्रो स्टेशन जाने के लिए आटो किया। 70 रुपये तय हुए लेकिन 100 रुपये दे दिए। उसे भी फोटो दिखाया कि भाई बच्चन साहब से मिलकर आ रहा हूं। उसके चेहरे पर दमक देखकर बहुत अच्छा लगा। दरअसल रिक्शावालों, कुलियों, वेटर्स, तांगेवालों और ऐसे गरीब-कमजोर तबकों को प्रतिनिधित्व करने के बाद ही तो अमिताभ बच्चन ऐसे बड़े महानायक बने हैं और सही मायने में ये लोग ही तो हैं जिनकी बदौलत वे आज घर-घर में पहचान नाम हैं। शायद इस देश के प्रधानमंत्री से भी ज्यादा।

- हर्ष कुमार, 10 अप्रैल 2015

3 comments:

  1. इसे कहते हैं जहाँ चाह वहाँ राह। बधाई हो हर्षजी। आप बच्चन जी से क्या मिल आये, हमें लगा हमही मिल आये।

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  2. वाह क्या बात है!

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