Friday 29 April 2016

DEEP REVIEW: Baaghi- an overdose of action

बागीः एक्शन के बोझ से दबी हुई एक कमजोर फिल्म

RATING- 1*
जब सलमान खान ने ‘मैंने प्यार किया’ (1989) के साथ जोरदार एंट्री की थी तो उन्हें उसी वक्त ये बात समझ आ गई थी कि उनसे अब लोगों की अपेक्षाएं बहुत ज्यादा हैं। ऐसे में उन्हें सोच समझकर फैसला लेना होगा कि उनकी अगली रिलीज कौन सी होनी चाहिए। उस समय वे दो फिल्में कर रहे थे। एक तो सुपर हिट डायरेक्टर सावन कुमार की ‘सनम बेवफा’ और दूसरी दीपक शिवदासानी की ‘बागी’। सावन कुमार बड़ा नाम थे और उनकी फिल्म पूरी तरह तैयार भी थी लेकिन सलमान ने अपनी दूसरी रिलीज ‘बागी’ को बनाया। ‘बागी’ रोमांस व एक्शन से भरपूर फिल्म थी। युवा दर्शक जो सलमान के पीछे पागल हो चुके थे उन्हें ‘बागी’ में सलमान का अवतार बहुत पसंद आया। बाद में ‘सनम बेवफा’ भी रिलीज हुई और बहुत बड़ी ब्लाकबस्टर साबित हुई। तब से आज तक सलमान ने पीछे मुड़कर नहीं देखा है।
इस कहानी को यहां बताने का उद्देश्य मेरा केवल इतना था कि टाइगर श्राफ व श्रद्धा कपूर जैसे उभरते सितारों को भी फिल्म साइन करने से पहले उसकी कहानी पर जरूर गौर करनी चाहिए। श्रद्धा कपूर की कई फिल्में आ चुकी हैं। वे बहुमुखी-प्रतिभाशाली हैं और बड़ी सफलता का स्वाद चख चुकी हैं। उनके लिए तो कोई खतरा नहीं है लेकिन टाइगर की ये केवल दूसरी फिल्म है ऐसे में उन्हें बहुत सोच समझकर फिल्में करनी होंगी। क्योंकि उनकी सीमाएं हैं। ‘बागी’ में टाइगर को एक्शन करने के अलावा कुछ भी नहीं करना था और डायरेक्टर ने इतना एक्शन फिल्म में भर दिया कि कहानी उसके बोझ तले दबकर मर ही जाती है।
फिल्म में कहानी बिल्कुल नहीं है। केवल एक्शन ही एक्शन है और कंफ्यूज निर्देशक साबिर खान (उन्होंने ‘हीरोपंती’ में टाइगर को लांच भी किया था) शुरू से आखिर तक ये ही तय नहीं कर पाए कि वे रोमांटिक फिल्म बनाना चाह रहे हैं, एक्शन फिल्म बनाना चाह रहे हैं या दक्षिण भारत की एक मार्शल आर्ट को प्रमोट करना चाह रहे हैं। बस जैसे ही उन्हें लगने लगता है कि फिल्म सुस्त हो रही है वे टाइगर के लिए एक एक्शन सीन लेकर आ जाते हैं और बाकी सारा काम तो एक्शन डायरेक्टर को ही करना होता है। टाइगर श्राफ ने अपने शरीर को इस तरह से गढ़ा है कि एक्शन सींस में वे कमाल कर देते हैं लेकिन इसके अलावा वे कुछ भी नहीं कर पाते। जब वे डांस करते हैं तो बिल्कुल भी नेचुरल नहीं लगते। बल्कि ऐसा लगता है कि जैसे वे एक्शन ही कर रहे हैं। ये हकीकत है और उन्हें इससे बचना होगा। वे हृतिक रोशन नहीं हैं। ना ही उनके पीछे राकेश रोशन जैसा घर का डायरेक्टर है जो लगातार हिट फिल्में बनाता रहेगा। अगर अच्छा निर्देशक न हो तो हृतिक रोशन भी एक बहुत ही सतही किस्म के एक्टर बन जाते हैं। टाइगर की तो खैर बात ही छोड़िए वे तो बिल्कुल नए हैं।
‘बागी’ का कहानी कुछ तो है ही कमजोर ऊपर से फ्लैश बैक में सब कुछ दिखाने के चक्कर में फिल्म को और अधिक उबाऊ बना दिया गया है। श्रद्धा कपूर पर टाइगर व खलनायक सुधीर बाबू (तेलुगु फिल्मों के जाने-माने कलाकार व पूर्व बैडमिंटन स्टार) दोनों ही फिदा हैं। सुधीर पहले ही सीन में श्रद्धा को किडनैप करके थाईलैंड ले जाते हैं। टाइगर उसे छुड़ाने के लिए वहां जाते हैं और खूब एक्शन करके अपने काम में सफल रहते हैं। बस ये ही कहानी है बाकी सब कुछ मसाला है।
फिल्म में एक के बाद एक कई गीत भी आते हैं लेकिन इनमें से कोई भी ऐसा नहीं है जिसे आप थियेटर से बाहर आकर याद रख सकें। यानी जब भी कोई गीत आता है तो लगता है कि उसे ठूंसा गया है और जबरन उसकी सिचुएशन बनाई गई है। गानों से बेहतर तो सुनील ग्रोवर हैं। वे श्रद्धा के पिता के रोल में जब भी आते हैं तभी गुदगुदा जाते हैं। उनकी कॉमिक टाइमिंग गजब की है और वे फिल्मों में कॉमेडियन के रूप में अपनी जगह बना सकते हैं।
प्रतिभा व एक्टिंग के मामले में श्रद्धा कपूर बाजी मारती हैं। कमजोर कहानी व निर्देशन के बावजूद वे अपनी छाप छोड़ने में सफल रहती हैं। उनकी आवाज इतनी मधुर है कि संवाद बोलते समय भी उसमें एक खनक महसूस होती है। श्रद्धा अपनी सिंगिंस को भी सीरियसली लें तो उनके लिए बेहतर होगा। वे पहले भी गाती रही हैं और उन्हें इसे जारी रखना चाहिए। इस फिल्म में वे सुंदर भी लगती हैं लेकिन डायरेक्टर ने एक तरह से उन्हें वेस्ट ही किया है। उनका सारा ध्यान केवल टाइगर पर था। जबकि फिल्म में लंबे-लंबे एक्शन सींस ने टाइगर के अंदर के कलाकार को बाहर ही नहीं आने दिया। टाइगर की डायलाग डिलीवरी बहुत ही कमजोर है। वे हिंदी सही तरह से नहीं बोल बाते। ये उनके लिए घातक साबित हो सकता है। पहले रणवीर सिंह के साथ भी कुछ ऐसा ही महसूस होता था लेकिन बाजीराव के रोल में उन्होंने शुद्ध हिंदी में संवाद बोलकर ये सिद्ध कर दिया कि इरादा मजबूत हो तो कुछ भी संभव है। टाइगर को ऐसा ही करना होगा। उन्हें बहुत कुछ सीखना होगा।

दो सवालः
1. कोई बताएगा कि फिल्म में बार-बार बारिश क्यों आती थी?
2. श्रद्धा कपूर को भी एक्शन में इतना परफेक्ट क्यों दिखाया गया, टाइगर तो उन्हें बचाने के लिए आ रहे थे?

- हर्ष कुमार

2 comments:

  1. यदि आप हेलमेट नहीं पहनते हैं तो, यह अवश्य पढ़ें...
    http://www.bhannaat.com/2016/04/do-you-wear-helmet.html
    अच्छाई भी, सच्चाई भी।।।

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  2. यदि आप हेलमेट नहीं पहनते हैं तो, यह अवश्य पढ़ें...
    http://www.bhannaat.com/2016/04/do-you-wear-helmet.html
    अच्छाई भी, सच्चाई भी।।।

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