Saturday 10 September 2016

DEEP REVIEW (Career): Katrina Kaif - Parveen Boby of our era?

क्या कैटरीना कैफ वर्तमान दौर की परवीन बाबी हैं ? क्या कैटरीना कैफ का कैरियर खात्मे की ओर चल पड़ा है? 'बार-बार देखो' की ओपनिंग औसत भी नहीं लग पाई। इससे पहले 'फितूर' के साथ भी यही हुआ था। ऐसे बहुत से सवाल उठ रहे हैं जिनका जवाब इस स्टोरी में हमने जानने की कोशिश कीः-

'बार-बार देखो' को आमिर खान के लिए लिखा गया था तो 'फितूर' को सिद्धार्थ राय कपूर ने अपने भाई आदित्य कपूर (आशिकी व दावत ए इश्क) को री लांच करने के लिए बनाया था। 'बार-बार देखो' के लिए आमिर खां ने तो हां नहीं की, बाद में सिद्धार्थ मल्होत्रा आए, लेकिन फिर भी फरहान अख्तर, रीतेश सिडवानी और करण जौहर जैसे निर्माताओं की टीम ने इसमें कैटरीना कैफ को लीड एक्ट्रेस बनाए रखा। शायद उन्हें उम्मीद थी कि भले ही आमिर फिल्म नहीं कर रहे हैं लेकिन कैटरीना के नाम पर फिल्म चल जाएगी। इससे पहले फरहान अख्तर कैट के साथ 'जिंदगी ना मिलेगी दोबारा' कर चुके थे और उनसे प्रभावित थे। उन्हें पूरा विश्वास था कि फिल्म को अच्छा रिस्पांस मिलेगा लेकिन ऐसा कुछ नहीं हुआ। दूसरी और यूटीवी के मालिक व विद्या बालन के पतिदेव सिद्धार्थ राय कपूर भी अपने भाई आदित्य कपूर को स्थापित करने के लिए एक बड़ी हिट बनाना चाहते थे। इसलिए उन्होंने 'फितूर' जैसी फिल्म बनाई जिसमें कश्मीर का विवादित विषय था। हिरोईन के रूप में कैटरीना कैफ को भी मना लिया गया। आदित्य कपूर के साथ कोई भी हिरोईन काम करने के लिए राजी नहीं हो रही थी लेकिन संबंध निभाने में पक्की कैटरीना ने हां कर दी। सिद्धार्थ को लगा कि फिल्म कैट के नाम पर चल जाएगी लेकिन ऐसा कुछ नहीं हुआ। दोनों ही फिल्में बाक्स आफिस पर एक ही दिन में ढेर हो गई।
इन फिल्मों के निर्माताओं का हश्र कुछ भी रहा हो लेकिन इतना तो तय हो गया कि कैटरीना कैफ का जादू अब ढल रहा है। 
दीपिका, जैकलीन और अनुष्का की चमक के सामने कैटरीना की विदेशी ब्यूटी फीकी पड़ रही है। वैसे भी कैट के बारे में मशहूर है कि मिस कैफ (33) भी तभी अच्छा काम करती नजर आती हैं जब उन्हें बड़े प्रोजेक्ट मिलते हैं। 'जब तक है जान' या 'धूम 3' जैसे प्रोजेक्ट छोड़ दें तो अन्य फिल्मों में कैटरीना बहुत ही साधारण नजर आती हैं। अपने 13 साल के कैरियर में कई बड़ी हिट फिल्मों में काम कर चुकी कैटरीना कैफ जिस तरह से एक के बाद एक फ्लाप फिल्में दे रही हैं उसे देखते हुए तो यही कहा जा सकता है कि अब कैट का टाप पर जमे रह पाना आसान नहीं होगा। यशराज के बैनर में 'धूम 3' व 'जब तक है जान' के बाद कैटरीना की एंट्री बंद हो चुकी है।कहा जा सकता है कि उनके कैरियर का टॉप का वक्त गुजर चुका है।

कैटरीना के बारे में कहा जा सकता है कि उन्होंने फिल्म इंटस्ट्री में अच्छे दोस्त बनाए और उनके सहारे आगे बढ़ी। 2003 में 'बूम' जैसी बहुत ही घटिया फिल्म से कैरियर की शुरूआत करने वाली कैटरीना कैफ को इसके बाद दक्षिण भारत की फिल्मों की ओर रुख करने के लिए मजबूर होना पड़ा था। इसी समय सलमान खान उनके गॉड फादर बने और उन्हें 'मैंने प्यार क्यों किया' के जरिये बालीवुड में एक अच्छा ब्रेक दिया। कहा जा सकता है कि यह पहली फिल्म थी जिसके बल पर कैटरीना को बालीवुड में पहचान मिली। इसके बाद 'सरकार', 'हमको दीवाना कर गए', 'नमस्ते लंदन' जैसी फिल्मों ने कैटरीना को स्थापित किया।
वक्त के साथ-साथ कैटरीना सलमान से दूर होती चली गई और रनबीर कपूर के साथ 'राजनीति' करने के बाद उनकी कैमिस्ट्री अच्छी खासी बन गई। सलमान खान के साथ 'पार्टनर' के बाद से उनकी जोड़ी टूट गई। इस दौरान 'वेलकम' जैसी फिल्में जरूर कैटरीना ने की लेकिन उनके कैरियर में एक ठहराव सा आने लगा। 'युवराज' व 'न्यूयार्क' जैसी फिल्में नहीं चल सकी। रनबीर के साथ उनके निजी रिश्ते कैसे भी रहे हों लेकिन दोनों की जोड़ी फिल्मों में नहीं चल सकी। रनबीर के साथ 'अजब प्रेम की गजब कहानी' के अलावा उनकी कोई उल्लेखनीय फिल्म नहीं आई। रनबीर का साथ उन्हें बड़ी फिल्में नहीं दिला पाया। इसी समय सलमान खान व कबीर खान (न्यूयार्क) की बदौलत कैटरीना को यशराज फिल्म्स में एंट्री मिली जो उनके कैरियर का सबसे बेहतरीन पड़ाव साबित हुई।
 सलमान व कबीर की बदौलत कैटरीना को 'एक था टाइगर', 'धूम 3' व 'जब तक है जान' जैसी बड़ी फिल्में मिलीं। ये उनके कैरियर की बुलंदी थी। इनमें कैट ने सलमान, आमिर व शाहरुख के साथ काम किया। फिल्में सफल भी रही और कैटरीना को बालीवुड में नंबर वन हिरोईनों में भी गिना जाने लगा।
बालीवुड में कहा जाता है कि अगर आपके ताल्लुकात नहीं हैं तो आपको फिल्में भी नहीं मिलती हैं। यशराज बैनर में कैटरीना ज्यादा नहीं टिक सकीं। इसके अलावा करण जौहर जैसे समकालीन निर्देशकों की गुडलिस्ट में भी वह शामिल नहीं हो सकी। यहीं से शुरूआत हुई कैटरीना के कैरियर के पतन की। जिस राह पर चलकर कैटरीना कैफ ने फिल्मों में पैर जमाए उसी पर चलकर अब जैकलीन फर्नांडीज जैसी हिरोईनें आगे निकल रही हैं। साजिद नाडियाडवाला जैसे निर्माता जैकलीन को तीन-तीन फिल्मों में रिपीट कर रहे हैं। दूसरी ओर कैटरीना 13 साल से ज्यादा समय हिंदी फिल्मों में गुजारने के बाद भी हिंदी नहीं सीख पाई। किसी नामी अवार्डट को वह हासिल नहीं कर पाईं। एक तरह से उनकी तुलना बीते दौर की हिरोईन परवीन बाबी से कर दी जाए तो गलत नहीं होगा।
यशराज फिल्म्स ने 'जब तक है जान' में यश चोपड़ा ने कैटरीना को अपनी लीड एक्ट्रेस के रूप में कास्ट किया था लेकिन रोल को पसंद किया गया अनुष्का शर्मा के। अनुष्का ने साबित कर दिया कि अगर निर्देशक उन्हें मौका दें तो वे कमाल कर सकती हैं। कैटरीना लीड में थी लेकिन इसके बाद भी फिल्म में अनुष्का छा गई।

अब कैटरीना के पास 'जग्गा जासूस', 'राजनीति 2', 'सन आफ सरदार 2', 'पार्टनर 2' जैसी ही फिल्में हैं। इनमें से जिन भी फिल्मों के सीक्वल बन रहे हैं उनका भविष्य अधर में ही है। ऐसे में कहा नहीं जा सकता कि कैट का कैरियर बहुत आगे जाएगा।
इस के अलावा किसी बैनर के साथ उन्होंने ऐसी कोई फिल्म नहीं की जिसे कहा जा सके कि वे उनके लिए माइल स्टोन साबित हुई। आफ स्क्रीन तो उनके रोमांस बहुत ही पापुलर हुए लेकिन ऑन स्क्रीन नहीं। दीपिका पादुकोण जिस तरह से रणवीर सिंह के साथ अपनी आन व आफ स्क्रीन कैमिस्ट्री को निभाया है वैसा भी कैट नहीं कर पाई। ऐसे में उनका कैरियर ग्राफ तो नीचे आना ही था। 'चिकनी चमेली' व 'शीला की जवानी' जैसे आइटम सांग ही कैटरीना की लिस्ट में परफोर्मेंस के नाम पर नजर आते हैं।

-हर्ष कुमार सिंह

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